लोगों की राय

संकलन >> वियोगी हरि रचना संचयन

वियोगी हरि रचना संचयन

डॉ. श्रीराम परिहार

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 2025
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17339
आईएसबीएन :9789361835476

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

साहित्य को चरित्र और राष्ट्र निर्माण का सोपान मानने वाले साहित्य साधक।

वियोगी हरि की साहित्य-साधना गहरी अनुभूति की सहज अभिव्यक्ति है। धर्म, इतिहास, पुरातत्त्व, दर्शन, समाज, संस्कृति के अध्ययन ने उन्हें भौतिक दृष्टि प्रदान की और जीवन-विकास के यात्रा-पथ पर बढ़ते हुए उन्होंने साहित्य-शिखरों की यात्राएँ कीं। वियोगी हरि के साहित्य संस्कार सदैव साहित्य को चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का महत्त्वपूर्ण सोपान मानते रहे। उन्होंने वीरता की अनेक क्षेत्रों में नवीन स्थापनाएँ की हैं। वे अछूतोद्धार को भी वीरता कहते हैं। वे पददलितों, वंचितों को सामाजिक सम्मान दिलाने के प्रयास और साहस को भी वीरता कहते है।

वियोगी हरि का ब्रज भाषा काव्य जितना हृदयस्पर्शी है, उतना ही तलस्पर्शी उनका गद्य साहित्य भी है। आपने विचार प्रधान निबंध भी लिखे हैं। वर्धा में रहकर वियोगी हरि ने गाँधी जी के साथ अछूतोद्धार और राष्ट्रभाषा प्रचार का कार्य किया और हरिजन सेवक संघ की मुख-पत्रिका ‘हरिजन-सेवा’ का 32 वर्ष तक संपादन किया।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book